रांची। रघुवर दास की मुश्किलें मुख्यमंत्री पद से हटने के साथ ही लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब उन्हें एक अदद सरकारी आवास के लिए भी सरकार से चिरौरी करनी पड़ रही है। सरकार है कि उनके आग्रह पर ध्यान ही नहीं दे रही। उनके कार्यकाल के घपले-घोटाले उजागर होने का सिलसिला अलग है।
विधान सभा सचिवालय ने उन्हें घर खाली करने का दोबारा नोटिस भेजा है। जिस आवास में रघुवर रह रहे हैं, उसे उन्हें आवंटित करने का उन्होंने सरकार से आग्रह किया है। पर, सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
अब रघुवर न तो अब मुख्यमंत्री हैं और न विधायक। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में सर्वोच्च अदालत ने पहले ही आवास आवंटित करने से मना कर दिया था। अब तो वे विधायक भी नहीं रहे, इसलिए विधानसभा सचिवालय ने उन्हें उस आवास को खाली करने का नोटिस भेजा है, जिसमें वे अभी रह रहे हैं।
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हालांकि रघुवर ने अनुरोध किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से उन्हें आवास आवंटित किया जाए, जहां फिलहाल वे रह रहे हैं। रघुवर दास को अभी तक दो बार आवास खाली करने का नोटिस भेजा जा चुका है। दिल्ली में आवंटित आवास भी उन से खाली करा लिया गया है।
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मुख्यमंत्री पद से हटते ही रघुवर दास ने कांके रोड स्थित सीएम हाउस खाली कर दिया था और सरकार से अनुरोध किया था कि धुर्वा के सेक्टर-3 स्थित F-33 में रहने दिया जाए। अभी तक सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि इस पर 2 दिन पहले बैठक भी हुई थी, लेकिन रघुवर दास के आवास का मामला बैठक में नहीं रखा गया।
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इस बीच सरयू राय ने हेमंत सोरेन को याद दिलाया है कि याचिका 657/2004 में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास एवं अन्य सुविधाएं सरकार नहीं दे। तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने जनहित याचिका 4509/2016 में 7.9.2018 को हाईकोर्ट को जवाब दिया था कि यह निर्णय झारखंड में लागू है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसपर ध्यान दें और रघुवर को भी ध्यान दिलायें।
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