बिहार विधानसभा चुनाव में सवर्णों को साधने में जुटी आरजेडी

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बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सोशल इंजीनियरिंग के अब तक आजमाए नुस्खे से अलग प्रयोग करने जा रहा है। आरजेडी इस बार सवर्णों को साधने की कोशिश में है।
बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सोशल इंजीनियरिंग के अब तक आजमाए नुस्खे से अलग प्रयोग करने जा रहा है। आरजेडी इस बार सवर्णों को साधने की कोशिश में है।

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सोशल इंजीनियरिंग के अब तक आजमाए नुस्खे से अलग प्रयोग करने जा रहा है। आरजेडी इस बार सवर्णों को साधने की कोशिश में है। प्रयोग इस मायने में अलग है कि लालू प्रसाद यादव ने सामाजिक न्याय के तहत दलितों, पिछड़ों और वंचितों को जहा सवर्णों के बराबर खड़ा करने का काम किया, मायावती ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग का दूसरा प्रयोग किया, वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इस बार सवर्णों को तरजीह देकर नये सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत करने जा रहे हैं।

वह इसका आगाज भी कर चुके हैं। अनंत सिंह, रामा सिंह, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और उनके बेटे आरजेडी में शामिल हो चुके हैं या शामिल होने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। पार्टी में इनमें कुछ के शामिल होने की महज औपचारिक घोषणा बाकी है। दिवंगत रेल राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल सिंह और उनकी बेटी श्रेयसी के भी आरजेडी में शामिल होने की सुगबुगाहट है। राज्यसभा सदस्य मनोज झा, आरडी सिंह और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह जैसे सवर्ण नेता आरजेडी में पहले से ही मौजूद हैं। यह अलग बात है कि जगदानंद सिंह को जो तवज्जो पहले मिलनी चाहिए थी, वह पार्टी के सत्ताच्यूत होने के बाद नहीं मिली छी।

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अब तक यह माना जा रहा है कि आरजेडी यादवों की पार्टी रही है। तेजस्वी इस दाग को धोना चाहती है और इसी क्रम में वह सवर्णों को साधने की कोशिश करेंगे। आरजेडी के अंदरखाने जो चर्चा है, उसके मुताबिक दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर इस बार सवर्ण उम्मीदवार उतारे जाएंगे। आरजेडी का मानना है कि मुस्लिम और यादव तो उसके पारंपरिक वोटर रहे हैं। अगर सवर्णों का साथ मिल जाए तो चुनाव में उसे इसका लाभ मिलेगा।

सीटों के बंटवारे पर घमासान

आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में अब चार दल शामिल हैं- आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और वाम दल। आरजेडी खुद 150 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है। कांग्रेस को वह 55 से सीटें देने की बात कह रहा है। बाकी सीटों को वाम दल और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी में बांटा जाला है। कांग्रेस 75-80 सीटों से कम पर मानने तको तैयार नहीं है। वाम दल भी सम्मानजनक सीटें मांग रहे हैं। अलबत्ता अब महागठबंधन में बटे सभी दल तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने को कबूल कर चुके हैं। पेंच सीर्फ सीटों के बंटवारे पर है। कांग्रेस ने सीटों के बंटवारे के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह को दिल्ली तलब किया है।

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