पटना। RTI से पता चला है कि पिछले 15 सालों से नीतीश सरकार ने आम जन के लिए एक भी सरकारी बस की खरीद नहीं की है। यह खुलासा जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के कार्यकर्त्ता उज्ज्वल कुमार की आरटीआई से हुआ।
उज्ज्वल कुमार ने बिहार राज्य पथ परिहन निगम ( BSRTC ) से RTI से दो प्रशन पूछे थे-
- बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा 1 मार्च2005 से 31 मार्च 2018 तक कितनी बसें खरीदी गयीं। उनका रजिस्ट्रेशन नंबर क्या है। कृपया वर्ष वार विवरण दें।
- क्या इन बसों में से किसी बस की नीलामी हुई है? अगर हाँ, तो उसका रजिस्ट्रेशन नंबर, निर्माण वर्ष, मेक और मॉडल क्या है? उसे कितने रुपये में ख़रीदा गया थाऔर कितने रूपये में नीलामी हुई, उसका विवरण उपलब्ध कराएँ।
इन प्रश्नों के उत्तर में बिहार राज्य पथ परिहन निगम ने यह कहा कि 1 मार्च 2005 से 1 मार्च 2018 तक बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा एक भी बस का क्रय नहीं किया गया है और बसों की नीलामी भी नही की गयी है।
विकास का दावा करने वाली सरकार ने एक मूलभूत सुविधा से लोगों को वंचित कर रखा है। राज्य भर में प्राईवेट बसों के मनमाने भाड़ा वसूलने से यात्री परेशान होते रहते हैं। मसलन पटना से पूर्णिया 300 किलोमीटर है, मगर बसों का किराया 400 से 450 रूपये तक लिया जा रहा है। पटना से बेतिया लगभग 200 किलोमीटर है और 260 रुपये किराया लिया जा रहा है। सरकार को आम लोगों के लिए सस्ते और सुलभ ट्रांसपोर्ट की वयवस्था करना चाहिए थी मगर नीतीश सरकार ने इस मुद्दे पर अपने पूरे कार्यकाल में ध्यान नहीं दिया।