झारखंडी अस्मिता की रक्षा के लिए 200 कि.मी. की पदयात्रा

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रांची। छोटे-छोटे संघर्ष ही बड़े बदलाव की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। ऐसे प्रयास तात्कालिक रूप से भले ही कोई विशेष छाप न छोड़ पाएं, फिर भी एक सांस्कृतिक जमीन जरूर तैयार करते हैं। ऐसा ही एक प्रयास झारखंड जनतांत्रिक महासभा के सौजन्य से किया गया। 24 अक्टूबर से शुरू हुई यह पदयात्रा आज रांची में आकर समाप्त हुई। इस पदयात्रा का आरंभ घाटशिला से हुआ था जो जमशेदपुर होते हुए 200 किमी की दूरी तय कर रांची पहुंच पूर्ण हुई। इस यात्रा ने युवाओं में जान फूंकी है।

इस यात्रा की सबसे बड़ी खूबी रही इसमें शामिल युवाओं की सक्रियता। छात्र-छात्राओं ने ग्रामीण लोगों को साथ लेकर इस लंबी यात्रा को सफलतापूर्वक संयोजित किया। जल, जंगल जमीन के नारों के साथ मौजूदा समय में हो रही हत्याओं, भूमि अधिग्रहण, आरक्षण, अनुबंधित कर्मचारियों के स्थायित्व व सामाजिक-लोकतांत्रिक संस्थानों को बचाये रखने के संकल्प के साथ ही इस यात्रा की शुरुआत हुई थी। यात्रा के अंतिम पड़ाव पर रांची के बुद्धिजीवी वर्ग व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पदयात्रा में शामिल सभी का दुर्गा सोरेन चौक पर सहृदय स्वागत किया और अपनी उपस्थिति से इस यात्रा को सफल बनाया।

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आज सुबह नामकुम से यह पदयात्रा आरम्भ हुई थी। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज, स्टेन स्वामी, दयामनी बारला सहित साहित्यिक जगत से वंदना टेटे और जसिंता केरकेट्टा मौजूद थे। युवा कार्यकर्ता बीरेंद्र कुमार एवं दीपक रंजीत ने बड़े सराहनीय ढंग से इस पदयात्रा को संयोजित किया।

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