संजय जयसवाल ने नीतीश शासन की तारीफ के पुल बांधे। कहा राजद शासन में लोगों का घर से निकलना मुश्किल था, लेकिन नीतीश शासन में बदमाश जेल गये या मारे गये।
पटना। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने राजद को उसके काल में होने वाले नरसंहारों की याद दिलायी है। उन्होंने इसी बहाने नीतीश कुमार की सरकार की तारीफ भी की है। उन्होंने सेनारी नरसंहार पर लिखा कि आज से 22 वर्ष पहले 34 व्यक्तियों की हत्या होती है और उच्च न्यायालय में निर्णय आता है कि इनकी हत्या का दोष पूर्व में घोषित दोषियों पर नहीं है। विगत कुछ दिनों से लगातार मैं इस पर विस्तृत चर्चा कर रहा था कि न्यायालय को इस तरह का आदेश क्यों देना पड़ा।
उन्होंने लिखा कि 1990 से 2005 के राजद शासन के कुकर्म आज भी हमारे सामने आकर खड़े हो जाते हैं। जितने भी नरसंहार इनके शासन में हुए, उसे सरकार द्वारा प्रायोजित नरसंहार कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सरकार ही चाहती थी कि बिहार में वर्ग संघर्ष चलता रहे और हम अपनी राजनैतिक रोटियां सेकते रहें।
डॉ संजय जायसवाल ने लिखा कि इसमें भी राजद के कोई काम नहीं करने का समाजवादी निर्णय हावी रहा। नरसंहार चाहे अगड़़े का हो, पिछड़े का हो या दलित का हो, सभी में पुलिस द्वारा जान-बूझकर केस को इतना कमजोर बना दिया जाता था कि किसी भी अपराधी को सजा नहीं हो सके। अगर नरसंहार होता है और इंसाफ मिल जाता तो वर्ग संघर्ष होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। लेकिन 15 साल तक राजद सरकार की मंशा रही कि नरसंहार हो और किसी को न्याय नहीं मिले, जिससे इसकी राजनीतिक रोटियां सिंकती रहें।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा कि मैं लगातार विधि मंत्री के संपर्क में था कि सेनारी नरसंहार पर उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद आगे हर हालत में हमें जाना है। उन्होंने मुझे सूचना दी कि सेनारी हत्याकांड में भारत सरकार के एटर्नी जनरल वेणुगोपाल और सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता जैसे वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में न्याय दिलाने की जिम्मेवारी दी गई है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आभार प्रकट किया है। उन्होंने विश्वास जताया है कि पीड़ितों को न्याय अवश्य मिलेगा।
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उन्होंने नीतीश सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि एनडीए की सरकार 2005 में बनती है और बिहार में हत्याओं पर लगाम लग जाता है। जितने भी अपराधी थे या तो मारे गए या त्वरित न्यायालय द्वारा जेल भेज दिए गए। सरकार ने बिल्कुल साफ संदेश दे दिया कि दोषी कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा। आज यदि हम युवाओं से कहें कि बिहार में 50 से ज्यादा नरसंहार हुए थे तो वह विश्वास भी नहीं करेंगे। लेकिन यह यथार्थ है कि 35 वर्ष से ऊपर वाले बिहारियों ने ऐसा बिहार देखा है कि 5 बजे शाम को कोई भी व्यक्ति अपने घर जाने से डरता था। 15 वर्ष के इसी इतिहास को भूलने के कारण जिन्होंने बिहार को विनाश के गर्त में डाला था, वे सर उठाने लगे हैं। इनसे सावधान रहने की भी जरूरत है और त्वरित न्याय भी आवश्यक है।
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