पटना। एनडीए ने शुरुआती खींचतान के बाद बिहार में लोकसभा की सीटों अंततः आसानी से कर लिया, लेकिन महागठबंधन में अभी पेंच फंसा है। अनुमान है कि अगले पखपाड़े यानी खरमास के बाद महागठबंधन में सीटें बंट जाएंगी। पर, एनडीए की तरह आसानी से नहीं। नाराजगी और मानमनौवल के बाद ही बंटवारे का रास्ता साफ होगा। महागठबंधन के साथ फिलहाल राजद के अलावा कांग्रेस, हम (सेक्युलर), शरद यादव की पार्टी, वामपंथी दल, रालोसपा के अलावा सन आफ मल्लाह के नाम से बिहार में मशहूर मुकेश सहनी हैं।
राजद खुद को जदयू की तरह बिहार में अपने को बड़ा भाई मानता है। इसलिए उसकी दावेदारी 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। बाकी की 20 सीटों राजद सहयोगी दलों को देना चाहता है। इधर बदले हालात में कांग्रेस राजद से किसी भी तरह अपने को कमतर नहीं आंक रही है। उसकी ओर से सीटों की दावेदारी राजद से कम सीटों की नहीं है।
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हम ने सबसे पहले एनडीए का साथ छोड़ा और महागठबंधन में अपनी जगह बना ली। शरद यादव जदयू से निकाले जाने के बाद महागठबंधन के साथ हैं। कांग्रेस 2015 के विधानसभा चुनाव के वक्त से ही महागठबंधन के साथ है। मुकेश सहनी ने नयी एंट्री ली है। पहले यह माना जा रहा था कि मुकेश सहनी एनडीए का हिस्सा बनेंगे, लेकिन एनडीए में सीटों का बंटवारा तीन दलों के बीच हो गया तो वह महागठबंधन के साथ आ गये।
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राजद ने सीट बंटवारे का जो फार्मूला बनाया है, उसके मुताबिक 20 सीटें वह अपने लिए चाहता है। हम को दो सीटें, शरद यादव को एक, वाम दलों को दो, रालोसपा को चार से पांच और मुकेश सहनी को एक सीट देने की बात है। कांग्रेस को 10-12 सीटें देने की बात है। हम के नेता वृषिण पटेल ने चेतावनी दी है कि सीटों का सम्मानजनक बंटवारा नहीं होता है तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। वाम दलों ने भी सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर अलग लड़ने की बात कही है। कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपनी जीत को लेकर उत्साहित है और उसका दावा है कि लोकसभा चुनाव में इस जीत की वजह से फिजा बदलेगी। इसलिए उसे बराबर सीटें चाहिए। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि वह राजद और कांग्रेस को 15-15 सीटें चाहती है। बाकी 10 सीटें छोटे सहयोगी दलों में बांटने की वह पक्षधर है। इसलिए यह कहना मुनासिब होगा कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर ज्यादा किचकिच होने वाली है।
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