वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में असंयमित भाषा का आरोप लगाया है। उन्होंने अपना पत्र फेसबुक वाल पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा हैः
आदरणीय प्रधानमंत्री जी
पहली बार आपको चिट्ठी लिखने के लिए मजबूर हो रहा हूं। आशा है, अन्यथा नहीं लेंगे और उचित लगे तो इस पर विचार करेंगे। सबसे पहले तो हम आपको बहुत विनम्रतापूर्वक सिर्फ यह याद दिलाना चाहते हैं कि आप इस देश के प्रधानमंत्री हैं। यकीन कीजिए, भारत नामक इस बड़े देश के प्रधानमंत्री आप ही हैं। हम आपकी तरह ‘इंटायर पोलिटिकल साइंस’ नहीं पढ़े हैं। संघ-दीक्षित भी नहीं हैं। ‘हिन्दुत्व’ के संस्कार, संस्कृति और धर्म-कर्म के ध्वजवाहक भी नहीं हैं। हम तो किसान-संस्कृति में पले-बढ़े। आज एक अदना-सा पत्रकार हूं। किसी न्यूज चैनल या अखबार का संपादक भी नहीं हूं।
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हमारी पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की है। बचपन पूर्वांचल में बीता। किसी तरह की सहानुभूति पाने के लिए हम आपकी तरह अपनी पारिवारिक-पृष्ठभूमि का हवाला नहीं देते।
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इधर आपकी भाषा, आपका लहजा और आपके मुंह से उच्चरित अपशब्द किसी को भी भ्रमित कर सकते हैं कि ये किसी लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के शब्द कैसे हो सकते हैं? बोलते वक्त, कहीं आप भी तो भूल नहीं जाते कि आप कौन हैं। यकीन कीजिए, आप यानी नरेंद्र दामोदर दास मोदी ही भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री हैं। और जब भी आप सार्वजनिक मंच से बोलते हैं, वह भारत के प्रधानमंत्री बोलते हैं।
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अभी आपने दिवंगत राजीव गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी की है। प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू पर आप और आपके दल के नेता अक्सर ही अपमानजनक टिप्पणियां करते रहते हैं। दिवंगत राजीव आप से बहुत पहले इस गणराज्य के प्रधानमंत्री थे। नृशंस आतंकी हमले में वह मारे गए। उनकी मां दिवंगत इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री थीं। उनकी भी कट्टरपंथी-धर्मांध और सिरफिरे तत्वों ने ही हत्या की थी। श्रीमती गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरू इस देश के पहले प्रधानमंत्री थे। आजादी की लड़ाई में कई साल वह जेल में रहे। उनके पिता मोतीलाल नेहरू भी आजादी की लड़ाई में लंबे समय तक जेल में रहे।
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इन सबकी आप आलोचना करें, यह आपका लोकतांत्रिक अधिकार है। पत्रकार के रूप में मैं भी इनमें कई नेताओं पर आलोचनात्मक टिप्पणियां लिख चुका हूं। कश्मीर के आधुनिक इतिहास पर मेरी एक छोटी-सी किताब है, उसमें नेहरू जी की प्रशंसा और आलोचना, दोनों है।
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आप नेहरू जी से नहीं मिले रहे होंगे। शायद, इंदिरा जी और राजीव जी से मिले रहे होंगे। मेरे साथ भी ऐसा ही रहा। मैंने इंदिरा जी को देखा था और राजीव गांधी से मिला भी था। बातचीत भी की थी। पर आपकी तरह मैं भी जवाहरलाल नेहरू से न तो कभी मिला और न आमने-सामने कभी देखा। पर कई इतिहास ग्रंथों और स्वयं नेहरू जी की लिखी किताबों के जरिए उनसे अनेक बार मिलने का मुझे मौका मिला। लंबे समय से आप संघ और फिर भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। काफी समय तक मुख्यमंत्री रहे। बहुत व्यस्त व्यक्ति हैं, इसलिए संभवतः आपको उनके बारे में या उनकी अपनी किताबें पढ़ने का मौका नहीं मिला होगा। The Discovery of India या Glimpses of world History जैसी किताबों के जरिए आपकी अगर नेहरू जी से कभी मुलाकात हुई होती तो मोदी जी, यक़ीनन आपकी भाषा, आपके शब्द और आपके विचार ऐसे नहीं होते।
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पहले भी आपके तेवर कुछ कम तीखे नहीं थे। पर इधर दो-तीन दिनों से आपकी भाषा मानवीय मर्यादा और राजनीतिक गरिमा की सरहदें ध्वस्त कर रही है। आपकी भाषा और आपके विचार के बारे में मुझे क्या पड़ी थी, कुछ कहने और लिखने की, लेकिन आप प्रधानमंत्री हैं और मैं एक पत्रकार। इसलिए लिखने को विवश हो रहा हूं। आशा है, कुपित नहीं होंगे।
सादर, उर्मिलेश
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