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धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए मलबे में फेंके गये शिवलिंग
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मंदिरों के मलबे और शिवलिंग प्रकरण की हो न्यायिक जांच
वाराणसी (हरेन्द्र शुक्ला)। लंका थाना क्षेत्र के रोहित नगर में कारिडोर के नाम पर पक्के महाल के तोड़े गये मंदिरों के मलबे से दूसरे दिन भी 16 शिवलिंग मिले। सच कहें तो मलबे में शिवलिंग नहीं, बल्कि शिवलिंग ही मलबा बन गये हैं। इससे साफ है कि कई मंदिरों को तोड़ा गया है। शिवलिंगों के मलबे से लंका थाना क्षेत्र के रोहित नगर कालोनी स्थित अस्सि नाला को पाटा जा रहा है। यह मलबा कहीं और का नहीं कारिडोर का ही है। यह दावा ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंन्द सरस्वती जी के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने गुरुवार को केदारघाट स्थित श्रीविद्या मठ में आयोजित पत्रकार वार्ता में किया। उन्होंने सरकार से रोहित नगर मलबा प्रकरण की न्यायिक जांच कराने की भी मांग की, ताकि सच को सामने लाया जा सके। गुरुवार को दूसरे दिन भी जब जेसीबी से मलबा हटाया गया तो 16 शिवलिंग बरामद हुए। उधर मंण्डलायुक्त और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति के अध्यक्ष दीपक अग्रवाल ने रोहित नगर में मलबे में शिवलिंग मिलने को साजिश करार देते हुए कहा है कि विद्वेष फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की बैठक के बाद मंण्डलायुक्त ने कहा कि कारिडोर का निकला मलबा राजघाट इलाके में भेजा जा रहा है तो रोहित नगर में मलबा गिराने का कोई औचित्य ही नहीं है। रोहित नगर के मलबे से शिवलिंग शिवलिंग मिलने के बाबत उन्होंने कहा कि धार्मिक उन्माद फैला कर कारिडोर परियोजना को बदनाम करने की यह साजिश है। शुरुआती जांच में यह पाया गया है कि मलबे से बरामद सभी शिवलिंग एक ही तरह के पत्थर से बने हुए हैं।
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंन्द सरस्वती जी के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने अफसोस जताया कि मलबे से इतनी भारी तायदाद में निकले शिवलिंग की खबर से जहां काशी सहित पूरा देश स्तब्ध है, वहीं भाजपा जैसे हिन्दूवादी दल के एक भी व्यक्ति का न आना, उनके हिन्दू हितैषी होने के दावे को खोखला साबित करता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भावुक होते हुए कहा कि छाती पर पत्थर रख कर हम लोग जी रहे हैं। कारिडोर के नाम पर मुर्तियों को तोड़ कर मलबे में डाल दिया जा रहा है। नाले को पाटने के लिए मंदिरों के मलबे का प्रयोग किया जा रहा है। रोहित नगर में नाले को 2 माह से पाटा जा रहा था। मैने 8 मंदिर और 29 मूर्तियों की सूची श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विशिष्ट क्षेत्र प्राधिकरण के सीईओ विशाल सिंह को दी है। ये 8 मंदिर और 29 देव विग्रह आज पक्के महाल से गायब कर दिये गये हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरोप लगाया है कि सीईओ विशाल सिंह ने अचानक बिना जांच कराये कैसे रोहित नगर के मलबे को कह दिया कि वह मलबा कारिडोर का नहीं है। जिस टाइल्स के टुकड़े बांसफाटक के पास मलबे में पाये गये हैं, उसका दूसरा टुकड़ा रोहित नगर के मलबे में कैसे पाया गया है। इसका मेरे पास पुष्ट प्रमाण है कि रोहित नगर का मलबा कारिडोर का ही है। बांसफाटक में गिराये गये मलबा और रोहित नगर में पाटे गये मलबे के ईंट, पत्थर, टाइल्स में समानता है।
उन्होंने कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ जी के प्रतिनिधि के तौर पर असंख्य शिवलिंग काशी में स्थापित हैं। कारिडोर के बहाने मोदी-योगी सरकार काशी में शिवलिंग तोड़वा रही है। इससे भगवान बाबा विश्वनाथ जी को पीड़ा हो रही है। रोहित नगर के मलबे के प्रकरण की न्यायिक जांच होनी चाहिए। प्रशासन इस मामले की लीपापोती करने में जुट गया है। यह संवेदनशील मामला है। अभी तक प्रशासन की चुप्पी सवाल पैदा कर रही है। मुझे धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में पाबंद करने की भी तैयारी की जा रही है। इस भभकी से मैं डरने वाला नहीं हूं। कारिडोर के नाम पर तोड़े जा रहे देव विग्रह, मंदिर को तोड़ने का विरोध और सनातन धर्म की रक्षा के लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी, योगी और विशाल काशी के ये तीन काल हैं। यहां की संस्कृति को मिटाने का तीनों मिलकर साजिश रच रहे हैं। स्वामीश्री ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन उक्त मामले की जांच कराकर दोषी लोगों को दंडित नहीं करेगा तो आन्दोलन किया जायेगा।
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