सुशील मोदी- दिल्ली का किसान आंदोलन भारत विरोधी ताकतों का हथियार 

0
255
आरक्षण विरोधी कांग्रेस से दोस्ती करने वालों ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्श मिट्टी में मिला दिये। सांसद सुशील कुमार मोदी ने यह आरोप लगाया है।
आरक्षण विरोधी कांग्रेस से दोस्ती करने वालों ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्श मिट्टी में मिला दिये। सांसद सुशील कुमार मोदी ने यह आरोप लगाया है।

पटना। दिल्ली का किसान आंदोलन भारत विरोधी ताकतों का हथियार बन गया है। यह कहना है राज्यसभा नवनिर्वाचित सदस्य सुशील मोदी का। मोदी ने पूछा है कि यह कैसा किसान आंदोलन है, जिसमें टुकडे-टुकडे गैंग के शरजिल इमाम और कुछ शहरी नक्सलियों की रिहाई के साथ पुराने जम्मू-कश्मीर के लिए धारा- 370 की बहाली जैसी अलगाववादी मांगों को हवा दी जा रही है?

मोदी ने कहा कि जिन बातों से खेती का कोई वास्ता नहीं, उन बातों के लिए दिल्ली में किसान के नाम पर आंदोलन करने वाली भीड़ नारे क्यों लगा रही है? विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार न तो असीमित हैं, न इसकी ओट में किसी को भारत विरोधी एजेंडा चलाने की छूट दी जा सकती है।

- Advertisement -

मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा है- केंद्र सरकार ने दृढ़तापूर्क कहा है कि  तीनों नये कृषि कानून वास्तविक किसानों के हित में हैं, इसलिए वापस नहीं होंगे, लेकिन कुछ संशोधन अवश्य किये जा सकते हैं। बिहार, यूपी सहित विभिन्न राज्यों के 15 किसान संगठनों ने मंडी से आजादी दिलाने वाले नये कृषि कानून का समर्थन कर गतिरोध दूर होने की उम्मीद बढायी। उन्होंने कहा कि असली किसानों और उनके संगठनों के  आगे बढ़ने से ही समाधान होगा। पंजाब-हरियाणा के कुछ अमीर किसानों का संगठित अल्पमत देश के 80 फीसद किसानों के बहुमत की आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है।

मौसम के अनुरूप बिहार में खेती की तारीफ की

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वर्ष 2008 में बिहार का पहला कृषि रोड मैप लागू करने वाली एनडीए सरकार ने राज्य के सभी 38 जिलों में बदले मौसम के अनुरूप खेती करने का जो कार्यक्रम शुरू किया, उससे 1.5 लाख किसानों को नई तकनीक से साल में तीन फसलें उगाने में मदद मिलेगी। कृषि रोडमैप का यह तीसरा चरण किसानों की आय दोगुनी करने वाला एक सराहनीय कदम है। जिन लोगों ने कृषि के लिए अपने राज में कुछ नहीं किया, वे बंद, धरना-प्रदर्शन के जरिये केवल अपनी काहिली छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः सुशील कुमार मोदी ने कहा, किसान आंदोलन में गैर किसान की घुसपैठ(Opens in a new browser tab)

किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं एनडीए सरकार की योजनाएंः राजीव

एनडीए सरकार को कृषि हित में समर्पित बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र व बिहार की एनडीए सरकारों ने किसानों के सशक्तीकरण की दिशा में जितना कुछ किया है, उतना विपक्षी दल अपने दशकों के राज में सोच तक नहीं पाते थे। उनके राज में खेती के लिए महत्वपूर्ण यूरिया और खाद तक घोटाले की भेंट चढ़ जाते थे. लेकिन एनडीए सरकार के सत्ता में काबिज होने के बाद स्थितियों में क्रांतिकारी बदलाव आया है। आज लगभग सभी किसानों के घरों में बिजली, शौचालय, गैस सिलिंडर जैसी मुलभुत सुविधाएं पहुंच चुकी हैं। पटवन के लिए अलग फीडर की व्यवस्था की जा रही है।

प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें बेहद कम प्रीमियम पर फसल बीमा योजना की सुविधा मुहैया करायी जा रही है। किसान सम्मान निधि के तहत तकरीबन 10 करोड़ किसानों को 6 हजार सालाना की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। इसके अलावा किसानों के लिए पेंशन स्कीम भी बनायी गयी है, जिसके तहत 60 वर्ष की अवधि के बाद उन्हें हर माह कम से कम 3000 रुपये प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। यूरिया की नीम कोटिंग होने से अब किसी किसान को ब्लैक में यूरिया नहीं खरीदना पड़ता। इसके अतिरिक्त कम पानी में बेहतर फसल के लिए सरकार ने ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों के लिए 50 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। वास्तव में सरकार ने बीज से बाजार के लिए वह सारे इंतजाम किए हैं, जिससे 2022 तक किसानों की आय दुगनी की जा सके।

श्री रंजन ने कहा कि जिस एमएसपी को लेकर आज विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है, हकीकत में एनडीए सरकार ने उसमें ऐतिहासिक वृद्धि की है। पिछले 6 वर्षों में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 40%, गेंहू में 41% और चने के एमएसपी में 65% की भारी भरकम वृद्धि हुई है, जो सरकार की किसानों की आय बढ़ाने के प्रति सजगता को दिखाता है।

नए कृषि कानूनों पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हालिया लाये गये कृषि कानून किसानों की आमदनी दोगुनी करने में काफी अहम भूमिका निभाने वाले हैं। इससे किसान अपनी फसल का मूल्य अब खुद तय कर पाएंगे। निवेश की स्थिति में किसान की जमीन पूरी तरह सुरक्षित रहेगी और केवल फ़सल ही करार के दायरे में आ पाएंगे। उसमें भी किसान जब चाहे करार से बाहर हो सकता है या बाजार के मुताबिक अपनी फसल का दाम बढ़ा सकता है।

यह भी पढ़ेंः सुशील कुमार मोदी और नीतीश कुमार : दो हंसों का जोड़ा बिछड़ गयो रे(Opens in a new browser tab)

- Advertisement -