पटना। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीमारमण की अध्यक्षता में हुई राज्यों के वित्तमंत्रियों के साथ बजट पूर्व बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में फैले एईएस से हो रही बच्चों की मौत के बाबत नवजात शिशुओं के लिए 100 बेड की आईसीयू और इस बीमारी के अध्ययन के लिए रिसर्च सेंटर स्थापित करने हेतु 100 करोड़ देने तथा नए एम्स के निर्माण के स्थान पर राज्य के पुराने मेडिकल काॅलेज को एम्स में परिवर्तित करने की मांग की।
श्री मोदी ने ‘हर घर नल जल’ योजना के तहत पाइप से सभी घरों में जलापूर्ति पर मार्च, 2020 तक राज्य सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली 29,400 करोड़ की राशि को केन्द्र सरकार द्वारा रिम्बर्स करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने भी 2024 तक सभी घरों में पाईप से पानी पहुंचाने का निर्णय लिया है, जबकि उसके पहले ही यह योजना बिहार में पूरी हो जायेगी। केन्द्र सरकार ने वेतन मद में प्रति शिक्षक दिए जाने वाले 22,500 रुपये को घटा कर प्राथमिक शिक्षकों के लिए 15 हजार और अपर प्राथमिक शिक्षकों के लिए 20 हजार कर दिया है। इसके कारण राज्य सरकार को 7 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। अतः केन्द्र सरकार पूर्व की तरह प्रति शिक्षक वेतन मद में 22,500 रु. का भुगतान करें।
मध्याह्न भोजना योजना के तहत रसोइए को केन्द्र सरकार द्वारा 600 और राज्य सरकार की ओर से 900 रुपये कुल 1500 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। केन्द्र सरकार अपने अंशदान की 600 रु. की राशि को बढ़ा कर कम से कम 2 हजार रु. करें। वृद्धा, विधवा और दिव्यांग पेंशन की केन्द्रीय राशि 200 और 300 रुपये में वर्ष 2012 के बाद कोई वृद्धि नहीं की गयी है जिसे बढ़ा कर प्रतिमाह 500 रु. किया जाए। राज्य सरकार 45 लाख वृद्धों को पेंशन दे रही है जबकि केन्द्र सरकार केवल 29.90 लाख वृद्धों के लिए अंशदान राशि देती है। वृद्ध पेंशनभोगियों की संख्या की सीमा निर्धारित नहीं होनी चाहिए, इसलिए केन्द्र सरकार सभी 45 लाख वृद्धों के लिए पेंशन अंशदान दें। केन्द्र सरकार की विधवा पेंशन पेंशन योजना में विधवा की उम्र 40 तय की गई है, इसे घटा कर 18 वर्ष और उसी प्रकार दिव्यांग पेंशन के लिए 80 प्रतिशत दिव्यांगता को घटा कर 40 फीसदी किया जाए।
देश के 117 पिछड़े जिलों में शामिल बिहार के 13 जिलों में उद्योग लगाने पर आयकर व अन्य करों में राहत देने की केन्द्र सरकार से मांग की। उन्होंने कहा कि मनरेगा व समग्र शिक्षा अभियान के तहत केन्द्र सरकार जितना बजट स्वीकृत करती है बिना किसी कटौती के उसे प्रतिवर्ष जारी करें। पिछले वर्षों में इस राशि में 30 से 40 प्रतिशत की कटौती कर ली गयी है।