होम टैग्स भाषावादी और नस्लवादी तथा जातिवादी अलगाव के आधार पर चलनेवाली राजनीति भी साम्प्रदायिकता की कोटि में आती है
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भारत के प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रवाद को कमजोर किया
भारत के प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने जान-बूझकर राष्ट्रवाद को कमजोर किया। समाजवादी चिंतक किशन पटनायक का ऐसा मानना है। सामाजिक सुधार और धर्म के संबंध...