तीन तलाक पर अध्यादेश से मुस्लिम महिलाएं होंगी सशक्त: राजीव

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बंगाल की कुछ ऐसी खबरें,जिन्हें आप जानना चाहेंगे। DYFI कार्यर्ताओं ने पुलिस वालों को आज दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। मौलाली का इलाका रण क्षेत्र बना रहा
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पटना। तीन तलाक पर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश को ऐतिहासिक करार देते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने इससे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक अहम कदम बताया। सरकार को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि दशकों से तीन तलाक का दंश झेलने वाली मुस्लिम समाज की महिलाओं के लिए 19 सितंबर भी एक ऐतिहासिक निर्णय के दिन के रूप में याद किया जाएगा। याद करें तो इस विषय पर हो रही इतनी चर्चाओं के बावजूद देश में तीन तलाक के मामले लगातार आ रहे थे।

उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2017 से 13 सितंबर 2018 तक 430 तीन तलाक की घटनाएं हुईं। इनमें से 229 सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक़ पर दिए जजमेंट से पहले के हैं, जबकि 201 जजमेंट के बाद के हैं। तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले यूपी में आए, लेकिन अब इन महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने Protection of Rights on Marriage Bill-2017 के लिए ट्रिपल तालक (तलाक ए बिद्दत) अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिससे अब ट्रिपल तलाक देना अपराध के दायरे में आ गया है।

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भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी, लेकिन वोट के चक्कर में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने इस अतिमहत्वपूर्ण मसले को हमेशा लटकाए रखा। ज्ञातव्य हो कि इन्हीं दलों के विरोध के कारण संसद के दोनों सदनों में यह बिल पारित होने में विफल हो गया था, लेकिन भाजपा उन लाखों मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा को भलीभांति समझती है, इसीलिए इस अध्यादेश को लाया गया है। इसके बाद तुरंत दिया जाने वाला तीन तलाक अब गैरकानूनी हो चुका है। नारी की गरिमा को बढ़ाने वाले केंद्र के इस फैसले के बाद अब किसी महिला को फोन पर, एसएमएस या इंटरनेट द्वारा तीन तलाक देकर उनके हक से वंचित नहीं, किया जा सकेगा। केंद्र के इस निर्णय के बाद अब किसी शाहबानो या सायरा बानो की जिंदगी दोराहे पर नहीं आएगी।

इस अध्यादेश के प्रावधानों के बारे में बताते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इस अध्यादेश के तहत यह अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब महिला खुद शिकायत करेगी या फिर उसके सगे लोगों में से कोई शिकायत करेगा। इसमें जमानत मिल सकती है, मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष सुनने के बाद चाहे तो बेल दे सकता है। महिला और बच्चों के भरण-पोषण की रकम मजिस्ट्रेट द्वारा ही तय की जाएगी। छोटे बच्चों की कस्टडी मां को मिलेगी। महिला अगर चाहे तो समझौते का विकल्प भी खुला है, जो पत्नी की पहल पर हो सकता है।

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