पटना/ दिल्ली। डीजल-पेट्रोल की लगातार बढ़ रही कीमतों को तत्काल काबू में लाने की मांग को ले कांग्रेस द्वारा सोमवार (10 सितंबर) को बुलाये गये भारत बंद के मद्देनजर यह हिदायत है कि जरूरी न हो तो घर से न निकलना ही मुनासिब होगा। बंद समर्थकों के उत्पात-उपद्रव के आप या आपका वाहन शिकार हो सकता है। खासकर यह हिदायत बिहार और झारखंड के लिए ज्यादा जरूरी है। इसलिए कि RJD, NCP, HAM (S), LEFT जैसी विपक्षी पार्टियों का बिहार में जनाधार है और ये दल बंद को सफल बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है। झारखंड में JMM, JVM ने भी बंद का समर्थन किया है। अपरोक्ष रूप से पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाले भी बंद के समर्थन में हैं।
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कांग्रेस की दलील है कि 2014 के मुकाबले डीजल-पेच्रोल के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गये हैं। इसे GST के दायरे में लाने की जरूरत है। EXCISE DUTY घटाने की जरूरत है, जैसा कांग्रेस ने अपने शासन काल में किया था। इतना ही नहीं, जिन राज्यों में इस पर VAT लागू है, उसे खत्म करना जरूरी है। कांग्रेस के बंद का लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन कर दिया है।
कहां-कहां और क्या हो सकता है असर
बंद का सर्वाधिक असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट और स्कूलों पर पड़ेगा। बिहार-झारखंड के ज्यादातक स्कूलों ने पहले ही स्कूल बंद रखने की घोषणा कर दी है। लंबी दूरी के वाहन जहां-तहां अंटक सकते हैं। रेलगाड़ियों के परिचालन को बंद समर्थक बाधित कर सकते हैं।
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झारखंड में बस किराया बढ़ाने की घोषणा
झारखंड में तो बस मालिकों ने कल के बंद के बाद 11 सितंबर से बसों का किराया बढ़ाने की घोषणा कर दी है। उनके संगठन की एक बैठक में फैसला लिया गया कि जो वाहन मालिक बढ़ा किराया लागू नहीं करेगा, संगठन उस पर 2000 रुपये तक का जुर्माना लगायेगा।
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