कोलकाता। चार बार से लगातार विधायक रहे तृणमूल कांग्रेस के विधायक अर्जुन सिंह ने ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस का साथ छोड़ कर भाजपा का दामन थामन लिया। उनके भाजपा में जाने की अटकलें काफी दिनों से लगायी जा रही थीं। उन्होंने दिल्ली में भाजपा दफ्तर में पार्टी की सदस्यता ली। इस मौके पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी मौजूद थे। पश्चिम बंगाल में हिन्दी भाषी वोटरों को अपने पक्ष में एकजुट करने के लिए ममता बनर्जी ने कुछ ही महीने पहले उन्हें पार्टी के हिन्दी भाषी प्रकोष्ठ का चेयरमैन और राजेश सिन्हा को सचिव बनाया था। माना जा रहा है कि श्री सिंह को भाजपा बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनायेगी।
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ममता बनर्जी को भाजपा लगातार झटके दे रही है। पहले उनके अति भरोसेमंद मुकुल राय को भाजपा ने अपने पाले में किया। कुछ और सांसद-विधायक भी ममता का साथ छोड़ने के लिए कुलबुला रहे हैं। उन्हें उपयुक्त अवसर की तलाश है। कांग्रेस की भी एक सांसद दीपा दासमुंशी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं।
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बड़े दमखम के साथ ममता बनर्जी को बंगाल की बागडोर सौंपने वाली जनता को ममता से घिन्न आनी तब से ही शुरू हो गयी, जब उन्होंने राज्य के अल्पसंख्यक वोटरों को रिझाने के लिए उनके हित को सर्वोपरि समझना शुरू कर दिया। 2014 के चुनाव में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी, तब भी ममता ने अपने दल के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कर बंगाल में भाजपा को हाशिये पर रखा। लेकिन अल्पसंख्यकों के प्रति उनके झुकाव ने उन्हें अलग-थलग करने की ठान ली है।
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जहां तक अर्जुन सिंह का सवाल है, वे लंबे समय से ममता से मन ही मन नाराज थे। उनकी पीड़ा यह थी कि हिन्दीभाषी क्षेत्र भाटपाड़ा से लगातार चौथी बार विधायक चुने जाने के बावजूद ममता ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया। उन्हें न मंत्री बनाया, बल्कि किसी बोर्ड या कमीशन का चेयरमैन तक बनाने की जरूरत नहीं समझी।
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इस बार अर्जुन सिंह बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्हें उम्मीद भी थी कि शायद ममता बनर्जी बदले हालात में उनकी इच्छा पूरी कर दें, लेकिन ममता ने सभी सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जिसमें उनका नाम कहीं नहीं था। इसके बाद ही उन्होंने पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। माना जा रहा है कि भाजपा उन्हें बैरकपुर सीट से उम्मीदवार बनायेगी।
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बैरकपुर का इलाका औद्योगिक अंचल होने के कारण हिन्दीभाषियों से भरा पड़ा है। अर्जुन सिंह हिन्दीभाषियों में काफी लोकप्रिय हैं। हर किसी के दुख-सुख में वे शामिल होते हैं और लोग इसी कारण उन्हें भैया भी कहते हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले अर्जुन सिंह का परिवार लंबे समय से बंगाल के उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा में रहता है। उनके पिता भी कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने जाते रहे। खुद अर्जुन सिंह चौथी बार विधायक बने।
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