तृणमूल कांग्रेस के सांसद शिशिर अधिकारी आज बीजेपी ज्वाइन करेंगे

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ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़े शुभेंदु अधिकारी के पिता सांसद शिशिर अधिकारी को उत्तर पूर्व के किसी राज्य में राज्यपाल बनाने की कवायद शुरू हो गयी है।
ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़े शुभेंदु अधिकारी के पिता सांसद शिशिर अधिकारी को उत्तर पूर्व के किसी राज्य में राज्यपाल बनाने की कवायद शुरू हो गयी है।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के सांसद शिशिर अधिकारी कुछ ही देर में एगरा में आयोजित अमित शाह की सभा में बीजेपी का हिस्सा हो जाएंगे। शिशिर अधिकारी शुभेेंदु के पिता हैं। शिशर अधिकारी के बीजेपी में जाने की सुगुबुगाहट तभी से थी, जब उनके बेटे शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। शिशिर अधिकारी के बीजेपी में आने से कांथी लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली 7 विधानसभा सीटों पर सीधे असर पड़ने की संभावना है।

अखिल गिरि संभाल रहे टीएमसी की 7 सीटों की कमान

कांथी विधानसभा क्षेत्र के तहत ही आता है रामनगर विधानसभा क्षेत्र। रामनगर से 5 बार विधायक रहे अखिल गिरि को तृणमूल कांग्रेस ने इस बार भी अपना उम्मीदवार बनाया है। उन पर न सिर्फ अपनी सीट बचाने का दायित्व है, बल्कि कांथी लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सभी 7 विधानसभा सीटों पर कामयाबी की जिम्मेवारी है।

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उड़ीसा के बॉर्डर से सटे बंगाल के  अंतिम विधानसभा क्षेत्र रामनगर के लोगों का आर्थिक और सामाजिक  रिश्ता उड़ीसा से जुड़ा हुआ है। उड़ीसा की धार्मिक चेतना  यहां के लोगों  को काफी प्रभावित करती है। रामनगर क्षेत्र में  दीघा एकमात्र पर्यटन स्थल है। कई लाख लोगों के रोजगार का  एकमात्र जरिया दीघा का पर्यटन स्थल और समुंदर से  जुड़े मछली और अन्य व्यापार हैं। यहां से 5 बार तृणमूल से विधायक रहे अखिल गिरि का तो अधिकारी परिवार में  मौसा का रिश्ता है, लेकिन दोनों परिवार एक दूसरे की छाया तक  स्पर्श करने से परहेज करते हैं।

अधिकारी घराने के लोगों के तृणमूल छोड़ भाजपा में ज्वाइन करने के बाद ही ममता बनर्जी ने पूरी कमान  अखिल गिरि को सौंप दी है। अखिल गिरि पर केवल अपनी सीट बचाने की  चुनौती ही नहीं, बल्कि कांथी लोकसभा की सातों सीट  की जिम्मेवारी है। यह अलग बात है कि  दीघा जैसे पर्यटन स्थल पर रंगदारी वसूलने का  एक बड़ा आरोप उन पर है। उसके खिलाफ  एंटी इनकंबेंसी भी कम नहीं है। अखिल गिरि का कहना है  कि गद्दार शुभेंदु अधिकारी को हराने के लिए इस बार लोग जरूर तृणमूल को वोट देंगे।

दूसरी ओर भाजपा के उम्मीदवार स्वदेश रंजन  नायक  कहने को तो यहां के भूमि पुत्र हैं, लेकिन उनका तार उड़ीसा से जुड़ा हुआ है। इस बार वह लिफ्ट छोड़कर  भाजपा से जुड़े और उनको यहां का टिकट मिल गया। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता  उनसे नाराज हैं, लेकिन  जय श्रीराम की  ध्वनि  और  शिक्षित बेरोजगारों के  मत इस बार  उनकी किस्मत का ताला खोल सकते हैं। नायक का कहना है कि  दीदी तो नौकरी के नाम पर  भीख दे रही हैं, ऊपर से स्वास्थ्य साथी  जैसा महा झूठ  अखिल गिरि को हराने के लिए काफी है।

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