पटना। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा अपनी योजना पर अडिग हैं। वह हर हाल में खीर बना कर रहेंगे। उन्हें इस बात की खुशी है कि यदुवंशियों का दूध का उन्हें मिल रहा है। अब चिंता किस बात की है। कुशवंशियों के चावल और यदुवंशियों के दूध से खीर तो बननी पक्की है। जी हां, यह दूसरा कोई नहीं, खुद उपेंद्र कुशवाहा ऐलानिया तौर पर बोल रहे हैं। इन दिनों बिहार में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ गयी है।
कुशवाहा इन दिनों बिहार में पैगाम ए खीर का जगह-जगह आयोजन कर रहे हैं। उनका दावा है कि बड़े पैमाने पर यदुवंशियों का आगमन उनकी पार्टी में हो रहा है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा सरगर्मी इन दिनों बिहार में है। कहीं दलित सम्मेलन हो रहा है तो कहीं पिछड़ा सम्मेलन। कोई जयंती कार्यक्रमों के जरिये अपनी ताकत का एहसास करा रहा है तो कोई युवाओं से मिल रहा है। कोई बूथ स्तर तक पहुंचने की जमीनी कवायद में जुटा है तो कोई संविधान की रक्षा के लिए न्याय यात्रा निकाल रहा है। सभी इस कदर मशगूल हो गये हैं कि लगता है कि चुनाव की घंटी बज चुकी है।
जनता एक अनार की तरह खुद को महसूस कर रही है। सौ बीमार टकटकी लगाये हुए हैं। इस पूरी कवायद में यूवा और दलित-पिछड़े हाट केक बने हुए हैं। सबकी निगाहें इसी पर टिकी हुई हैं। प्रशांत किशोर के जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद पार्टी की सक्रियता काफी बढ़ गयी है। प्रशांत ने 1000 युवाओं से सीधे संवाद कर उनके करीब पहुंचने के कई टोटके आजमाये हैं। मसलन उनकी परीक्षा में जो युवा पास होगा, उसे टिकट से लेकर नकद इनाम दिया जायेगा। उनका दावा है कि ऐसे युवाओं के जरिये जदयू बिहार में अपना नेटवर्क फैलायेगी। युवाओं को आकर्षित करने का मकसद तकरीब 57 प्रतिशत वोटरों को अपने वश में कर लेना। दलित-पिछड़ों के लिए तो नीतीश जी ने पहले से ही इतनी योजनाएं दे रखी हैं कि ईमानदारी बरतें दलित-पिछड़े तो नीतीश जी का पलड़ा सब पर भारी पड़ जायेगा।
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अलबत्ता राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन को अपने पारंपरिक वोट (मुसलिम-यादव) पर ही भरोसा है। उनमें अगर फूट पड़ी तो महागठबंधन की हवा निकल जायेगी। कांग्रेस भी अब मानने लगी है कि क्षेत्रीय दलों का साथ लिये बिना उसका कल्याण नहीं होने वाला। सलमान खुर्शीद ने यही बात दोहरायी है। उपेंद्र कुशवाहा के खीर कितना स्वादिष्ट बनता है, अभी देखना बाकी है।
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