हाजीपुर। बिहार की राजनीति का कंट्रोल रूम इन दिनों लोकतंत्र की जन्मस्थली वैशाली बना हुआ है। हर दल के सुप्रीमो के तार वैशाली से जुड़े हैं। बिहार में 40 सीटों पर मुख्य रूप से एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई का परिदृश्य तो है, लेकिन दोनों ही तरफ के सारथी सज्जनों का कर्मक्षेत्र वैशाली जिला ही है। महागठबंधन और एनडीए के बगावती सुर के सूत्रधार भी वैशाली जिले से ही जुड़े हुए हैं।
यह भी पढ़ेंः नेहरू-कांग्रेस की गलतियों का नतीजा है कश्मीर समस्याः सुशील मोदी
वैशाली जिला शुरू से ही राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। विशेष रूप से यह सुर्खियों में तब आया, जब हाजीपुर सीट से लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान को दो-दो बार रिकॉर्ड मतों से यहां के वोटरों ने जिता कर कर विजयी होने का ताज पहनाया। वहीं हाजीपुर सीट से ही रामविलास पासवान के पराजित होने के बाद भी चर्चाएं होती रहीं। पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के वरिष्ठ नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह जब ताल ठोक कर चुनावी मैदान में उतरे, तब अंतिम समय में बदले राजनीतिक समीकरण में बाहुबली के रूप में चर्चित रामा किशोर सिंह ने उन्हें पराजित कर दिया, तब फिर वैशाली जिला चर्चा में आया।
यह भी पढ़ेंः शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद ही भाजपा से दरकिनार होने की इबारत लिखी
वैशाली जिले के ही एक विधान सभा क्षेत्र पातेपुर से जुड़े हुए उजियारपुर लोकसभा सीट के सांसद नित्यानंद राय, जिनका घर हाजीपुर में ही है, को जब अचानक भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो वैशाली जिला पुनः चर्चा में रहा। वहीं पिछले 6 माह से रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में रहते हुए एनडीए के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने और अब महागठबंधन का हिस्सा बनकर दो-दो सीटों से भाग्य आजमाने को लेकर वैशाली जिला सुर्खियों में है। उपेंद्र कुशवाहा की जन्मभूमि वैशाली जिला के ही जावद गांव में है।
यह भी पढ़ेंः जिस कांग्रेस से कभी नाराजगी थी शत्रु को, उसी दर पर दे रहे दस्तक
रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के साथ-साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय से भी सीधी लड़ाई छेड़ रखी है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में उपेंद्र कुशवाहा ने जमुई सीट पर जबरन कब्जा कर अपने प्रत्याशी को उतारा है। जमुई से सांसद सह लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पहले से ही घोषणा कर रखी थी कि वे जमुई से चुनाव लड़ेंगे। उस परिस्थिति में रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने जमुई सीट पर भूपेंद्र यादव को उतारते हुए सीधी लड़ाई लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान से करने की ठानी।
यह भी पढ़ेंः बिहार में मुद्दों की भरमार, पर भुनाने में नाकाम रहा विपक्ष
चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा तो राम विलास पासवान को भी एनडीए से अलग होने का दबाव बना रहे थे, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। अब तो उन्होंने चिराग पासवान के ही खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
यह भी पढ़ेंः जगजीवन राम, जिन्हें कभी अगड़ों ने दुत्कारा, फिर बाबूजी कह पुकारा
वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी सीट काराकाट से चुनाव लड़ने के साथ-साथ उजियारपुर लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। यहां उनका मुकाबला भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय से होना है। जानकार बताते हैं कि एनडीए से अलग होने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने उपेंद्र कुशवाहा को उजियारपुर से चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी, जिसे स्वीकार करते हुए उपेंद्र कुशवाहा अखाड़े में उतर गए हैं। हाजीपुर सीट पर लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने अपने प्रतिनिधि के रूप में छोटे भाई सह बिहार सरकार के मंत्री पशुपति कुमार पारस को चुनाव मैदान में उतारा है। उनसे मुकाबला करने के लिए महागठबंधन से राजा पाकड़ के विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम अखाड़े में उतारे गए हैं। लोग बताते हैं कि प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के अति विश्वसनीय शिवचंद्र राय हैं। लेकिन तेज प्रताप यादव अंतिम क्षण तक शिव चंद्र राम का विरोध करते रहे। यही कारण है कि तेज प्रताप यादव ने परिवार और पार्टी से बगावत करते हुए एक नए मोर्चे का गठन कर महुआ के अपने विधायक प्रतिनिधि बालेन्द्र दास को हाजीपुर से चुनाव लड़ाने की घोषणा की है।
यह भी पढ़ेंः मोदी है तो मुमकिन है महंगाई पर नियंत्रण, मध्यवर्ग को राहत
विदित हो कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव वैशाली जिले के महुआ से विधायक हैं, जबकि उनके दूसरे पुत्र तेजस्वी यादव वैशाली जिले के ही राघोपुर से विधायक हैं। इस प्रकार वैशाली जिला से लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान को हाजीपुर में चुनौती देने के लिए तेजस्वी यादव तैयार हैं तो चिराग पासवान को पराजित करने के लिए रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा प्रयासरत हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को शिकस्त देने के लिए उपेंद्र कुशवाहा खुद ताल ठोक रहे हैं। वहीं तेज प्रताप यादव हाजीपुर का चुनावी समीकरण प्रभावित करने के लिए प्रयासरत हैं। बिहार की राजनीति इन सभी सुप्रीमो पर टिकी हुई है। निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव वैशाली जिले के लोगों के लिए बहुत ही दिलचस्प और महत्वपूर्ण है। वैशाली जिले के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से अभी 4 पर एनडीए का कब्जा है, जबकि अन्य 4 पर महागठबंधन काबिज है। 10 अप्रैल से वैशाली जिले में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 5 वें चरण में 6 मई को यहां मतदान होना है। हाजीपुर का भाग्य निर्धारण तो 6 मई को हो जाएगा। जमुई और उजियारपुर सहित कई सीटों का चुनाव परिणाम इन सुप्रीमो के प्रतिष्ठा से जुड़ा है।
यह भी पढ़ेंः इतनी कहियो जायिः निराला ने लिख दिया- बांधो न नाव इस ठांव बंधु