BJP के आरोप, HAM के हमले और नीतीश की खामोशी का राज क्या है?

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BJP के आरोप, HAM के हमले और नीतीश कुमार की खामोशी का राज क्या है? कहीं किसी रणनीति के तहत तो ऐसा नहीं हो रहा?
BJP के आरोप, HAM के हमले और नीतीश कुमार की खामोशी का राज क्या है? कहीं किसी रणनीति के तहत तो ऐसा नहीं हो रहा?
BJP के आरोप, HAM के हमले और नीतीश कुमार की खामोशी का राज क्या है? कहीं किसी रणनीति के तहत तो ऐसा नहीं हो रहा? आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं।

पटना। बिहार NDA में कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है। नीतीश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा कर BJP तो चुप हो गयी, लेकिन बीजेपी पर HAM के हमले जारी हैं। बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष समेत कई नेताओं ने आरोप लगाया था कि मुसलिम समुदाय के लोग दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं। दलितों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। ऐसा कहने वालों में BJP के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री जनक राम भी शामिल थे। इनका आरोप तो यह भी था कि पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है। अत्याचार की शिकायत लेकर गये दलितों के खिलाफ ही कार्रवाई करती है।

इसके जवाब में HAM के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि दलितों और मुसलमानों की एका देख कर BJP नेताओं के पेट में मरोड़ उठ रही है। हालांकि बाद में बीजेपी ने अपने सुर बदल दिये और प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने कोविड प्रबंधन पर नीतीश कुमार की सरकार की खूब तारीफ की। दूसरे नेताओं ने भी जुबान बंद रखी, लेकिन HAM नेताओं के हमले जारी रहे।

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बांका की एक परित्यक्त मसजिद में बम विस्फोट की जब घटना हुई तो इसकी जांच एनआईए को सौंपने की मांग बीजेपी के कुछ नेताओं ने की। मदरसों को आतंक की पाठशाला कहा। इस पर HAM नेता जीतन राम मांझी बिदक गये। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जब दलितों के बच्चे पढ़ने-लिखने लगते हैं तो उन्हें नक्सली करार दे दिया जाता है। मुसलमानों के बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं तो उन्हें आतंकवादी बता दिया जाता है। मांझी के निशाने पर बीजेपी ही है, इसलिए कि मदरसे को आतंक की पाठशाला बीजेपी के ही विधायक ने कहा था।

एनडीए में बीजेपी के खिलाफ मांझी, उनके प्रवक्ता और JDU के मझले दर्जे के नेता ही बोल रहे हैं। नीतीश कुमार चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आ रही है। प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर के नेता भी खामोश हैं। अलबत्ता नीतीश कुमार की सरकार की कार्यशैली पर बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष ने सवाल उठाया, लेकिन JDU के प्रदेश स्तर के किसी नेता ने जुबान नहीं खोली। अब यह बात गौर करने वाली है कि बीजेपी के खिलाफ कूद कर जीतन राम मांझी ही क्यों बोल रहे हैं। क्या नीतीश कुमार की भी इसमें सहमति है या मांझी अपने स्तर पर ऐसा कर रहे हैं। बीजेपी ने नरम रुख अपना लिया है, फिर भी मांझी का मुंह बंद नहीं हो रहा।

राजनीतिक जानकार यह कयास लगाते हैं कि नीतीश कुमार द्वारा अपनी उपेक्षा से आहत मांझी जेडीयू और बीजेपी में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा वह किसी रणनीति के तहत कर रहे हैं। इसी बहाने वे नीतीश कुमार के करीबी बनना चाहते हैं। जानकारों का एक पक्ष यह मानता है कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में कोई मुसलिम विधायक नहीं है। उन्हें पता है कि मुसलिम वोट विधानसभा चुनाव में आरेजेडी की ओर खिसक गये थे। बीजेपी के साथ रहते वे खुद मुसलमानों का स्टैंड नहीं ले सकते, इसलिए अपने सिपहसालारों से उनके हक में बातें बोलवा रहे हैं।

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