डा. लोहिया का जब पूरे सदन ने खड़े होकर का स्वागत किया था। यह सुन कर आश्चर्य हो सकता है कि तब के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी स्वागत में खड़े हुए थे। किसी सदस्य के स्वागत में प्रधान मंत्री का खड़ा होना तब की राजनीतिक तहजीब के साथ विचारधारा का सम्मान भी है। आज ऐसी बातें दुर्लभ हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने अपने फेसबुक वाल पर तब के उस रोचक प्रसंग का जिक्र किया है।
- सुरेंद्र किशोर
राम मनेाहर लोहिया ने 13 अगस्त, 1963 को पहली बार लोकसभा में सदस्य के रूप में जब प्रवेश किया तो प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित पूरा सदन उनके स्वागत में उठ खड़ा हुआ था। वह अभूतपूर्व दृश्य था। न भूतो न भविष्यति!
डा.लोहिया एक उप चुनाव में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से जीत कर लोक सभा गए थे।
स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक डा. लोहिया को एक तेजस्वी, निर्भीक और निस्वार्थी नेता के रूप में लोग जानते थे। यह और बात है कि अनेक लोग कई मामलों में उनसे सहमत नहीं होते थे।
वैसे लोहिया का मानना था कि राजनीति में रहने वाले लोगों को अपना परिवार खड़ा नहीं करना चाहिए। डा. लोहिया ने खुद घर नहीं बसाया था। परिवारवाद-वंशवाद के कारण आज की राजनीति किस तरह रसातल में जा रही है, संभवतः उसका पूर्वानुमान लोहिया को था।
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जवाहरलाल नेहरू डा. लोहिया को प्यार करते थे। लोहिया भी आजादी के संघर्ष के दिनों के नेहरू को पसंद करते थे। उन दिनों उनके सहकर्मी रहे। पर, बाद में प्रधान मंत्री के रूप में नेहरू की नीतियों के कटु आलोचक रहे। फिर भी उस दिन सदन में खड़े होने वालों में नेहरू भी थे।
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इस देश की राजनीति में उन दिनों डा. लोहिया जैसे कुछ अन्य नेता भी आदर के पात्र थे। आज वैसे नेता दुर्लभ हैं। लगता है कि अब वैसी फसल ‘उगनी’ फिलहाल बंद हो गई है। संभवतः विषम परिस्थितियों में वैसे नेता पैदा होते हैं। आज कौन नेता है, जो जीतकर सदन में जाए और उसके सम्मान में पूरा सदन उठकर खड़ा हो जाए!
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