पटना। NRC, CAA और NPR पर नीतीश कुमार कब चुप्पी तोड़ेंगे, यह सवाल उठ रहा है, क्योंकि उन्होंने 19 के बात मुंह खोलने की बात कही थी। पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐतिहासिक मानव श्रृंखला 19 को बननी थी, इसलिए उन्होंने तब तक कुछ बोलने से मना कर दिया था।
पार्टी के अल्पसंख्यक नेता और समर्थक बड़ी शिद्दत से नीतीश के स्टैंड का इंतजार कर रहे हैं। पार्टी के दो वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पवन वर्मा की इन मुद्दों पर आपत्ति के बाद माना जा रहा है कि नीतीश कुमार बीच का कोई रास्ता तलाश रहे हैं। जिस तरह विपक्ष इस मुद्दे को अल्पसंख्यकों में भुनाने की कोशिश कर रहा है, उसे देखते हुए नीतीश कुमार की चिंता स्वाभाविक है। हालांकि नीतीश की कार्यशैली ऐसी है कि उसे भांप पाना आम आदमी के वश की बात नहीं। वे सुचिंत ढंग से कोई फैसला लेते हैं। अभी वे हवा का रुख भांपने में लगे हैं।
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हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते अमित शाह ने नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा बता कर जिस चक्रव्यूह की रचना कर दी है, उससे निकल पाना नीतीश के लिए आसान भी नहीं होगा। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) सैद्धांतिक तौर पर इन दोनों बिंदुओं का विरोध करता है। परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर जेडीयू का विरोध सामने आता भी रहा है।
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इसका पहला उदाहरण तब मिला था, जब जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पहली दफा खुलकर इसका विरोध किया। जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने तब भी अपनी जुबान बंद रखी। इसे नीतीश की मौन स्वीकृति समझ कर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रशांत किशोर की आलोचना भी की। लेकिन प्रशांत किशोर को नीतीश ने मिलने का वक्त दिया। प्रशांत ने मुलाकात के बाद मीडिया को बताया कि नीतीश ने उनसे वादा किया है कि बिहार में एनआरसी लागू करने का सवाल ही नहीं उठता। दोबारा प्रशांत ने ट्वीट कर कहा कि एनआरसी बिहार में लागू नहीं होगा।
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