मामला करीब 200 से अधिक माघ्यमिक-उच्च शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता रद्द करने का
पटना। पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आनंद किशोर इस पद के लायक नहीं हैं। वे कोर्ट के आदेश की भाषा नहीं समझते हैं या फिर समझने के बाद भी पालन नहीं कर रहे हैं। इसलिए क्यों नहीं इनके विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने अगले सप्ताह के सोमवार को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी 10वीं व 12वीं के शिक्षण संस्थानों की मान्यता रद्द किए जाने के खिलाफ एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। सनद रहे कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में उनके खिलाफ टिप्पणी कर चुका है।
शुक्रवार को चक्रधारी शरण सिंह की एकल पीठ ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से शिक्षण संस्थानों की मान्यता बहाल नहीं किए जाने के बाद यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि हाईकोर्ट के आदेश को समझते हुए भी जान-बूझ कर अध्यक्ष की ओर से आदेश की अवमानना की जा रही है। पिछली सुनवाइयों के दौरान हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से शिक्षण संस्थानों की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई को अवैध करार दिया था। समिति के अध्यक्ष को नोटिस भी जारी किया गया ता। समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने एफिडेविट भी फाइल किया था, जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ।
गौरतलब है कि वर्ष 2016-17 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने करीब 200 से अधिक माघ्यमिक-उच्च शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि ये संस्थान आर्हता पूरी नहीं करते हैं। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अरुण कुमार का कहना था कि हाईकोर्ट के आदेश पर भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से पोर्टल पर उनको सूचीबद्ध नहीं किया गया। इससे लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटका है। समिति की गलती से छात्रों को खामियाजा भुगतना पड रहा है। यह पूरा मामला करीब दो सौ शैक्षिणिक संस्थानों से जुडा है। मसलन लाखों की संख्या में छात्र में प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित होने वालों में दसवीं और बारहवीं बोर्ड के छात्र हैं। याचिका रामचन्द्र कालेज, बाबू राय उच्च विद्यालय, भिखारी राय माध्यमिक विद्यालय, कपिल देव राय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की ओर से दायर की गयी थी।
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